Chaitanya Mahaprabhu (Original recording - voice of Sirshree)

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Unabridged

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बुद्धि के आर-पार

चैतन्य महाप्रभु

झूमते-गाते भक्ति द्वारा चैतन्य बनने की कला

भक्ति भाव, बोध और आनंद का अनोखा संगम

जब-जब धर्म के ठेकेदारों ने समाज में यह भ्रांति फैलाई कि ईश्वर को प्रसन्न रखने का, उसे पाने का मार्ग बहुत कठिन है तब-तब स्वयं भगवान ने अपने ऐसे पारस भक्तों को पृथ्वी पर भेजा, जिन्होंने इस मिथक को खंडित कर दिया। साथ ही जन सामान्य को भक्ति का सहज, सरल पाठ पढ़ाया और उन्हें अपने संपर्क में लेकर सोने की तरह शुद्ध, निर्मल भक्त बना दिया।उन्होंने संदेश फैलाया कि ‘ईश्वर को तो नाचते-गाते, आनंद से जीवन जीते, अपने दैनिक कार्य करते हुए, बस हरि बोलकर, सहजता से पाया जा सकता है। इसलिए धर्म या ईश्वर के नाम पर किसी के चक्कर में फँसने या कर्मकाण्ड में उलझने की बिलकुल ज़रूरत नहीं है। प्रेम से उसका नाम ले लिया तो समझिए वह आपका हो लिया।’ 

चैतन्य महाप्रभु सखी भाव धारण करनेवाले ऐसे ही महानतम वैष्णव भक्त थे, जिन्होंने बड़े-बड़े वेद-वाक्यों, अनुष्ठानों... आदि को एक सीधे, सरल मंत्र से बदल दिया। उनके मार्ग पर आज भी लाखों-करोड़ों भक्त चल रहे हैं एवं आनंद के साथ भक्ति की अभिव्यक्ति कर रहे हैइस ग्रंथ द्वारा आप चैतन्य महाप्रभु की इसी आनंद लीला के साक्षी बन, भक्ति की विभिन्न अवस्थाओं को समझने जा रहे हैं। उनके पारस प्रभाव से आप भी सोना यानी सोने जैसा भक्त बन, भक्ति एवं आनंद की वर्षा से सराबोर हों, इसी शुभकामना के साथ यह ग्रंथ आपकी सेवा में प्रस्तुत है।