
सरहद के जवान
कवि एक देशभक्त है। इस कविता द्वारा उसने सेना के जवान की मनोभावनाओं को व्यक्त किया है। कवि बताया है कि कैसे सेना का ये वीर सरहद पर तत्पर रहता है। वो दुश्मन की आहट को सुन लेता
है, और उसको माकूल जवाब देता है। उसका सीना फौलादी है और आँखों में देश के लिये मर मिटने का जुनून है। जब सरहद पर से उसे कोई छेड़ता है तो वो आर पार की लड़ाई करता है। खून की होली वो खेलता है और दुश्मन को रोंदता है। वो जमीं, आसमान और समुद्र की सीमा से दुश्मन पर अंगारों की बौछार करता है और अपने देशवासियों की हर कीमत पर सुरक्षा करता हैयुद्ध होने पर वो न अपने भूख,प्यास और न ही आराम की चिंता करता है। शेर की तरह दहाड़ता हुआ लोहा लेता है और दुश्मन का सफाया करता है।सीने पर गोली खा कर और हँसते - हँसते वन्देमातरम कहते हुऐ वो शहीद हो जाता है। उसकी शहादत कई जवानों के लिए एक मिसाल कायम करती है। और हार न मानो कभी ये होंसला देते हैं ।।
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Praise
