क़ुरआन

क़ुरआन


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कुरआन इस्लाम धर्म की पवित्रतम और मूल धार्मिक पुस्तक है। मुसलमानों का मानना है कि यह अल्लाह का वचन है जो फरिश्ते जिब्रील के द्वारा पैगंबर मुहम्मद पर उतारा गया। इसकी वह्य (अवतरण) की प्रक्रिया लगभग 23 वर्षों में पूरी हुई, पहले मक्का में और बाद में मदीना में।


कुरआन 114 अध्यायों में विभाजित है, जिन्हें सूरा कहा जाता है। प्रत्येक सूरा आयतों (पदों) से मिलकर बना है। सूरा अल-फातिहा (प्रारंभ) पहला सूरा है, और सूरा अन-नस अंतिम। कुरआन की व्यवस्था लंबे सूरों से शुरू होकर छोटे सूरों की ओर जाती है।


कुरआन का केंद्रीय संदेश एक ईश्वर (अल्लाह) में विश्वास, पुनर्जीवन और अंतिम न्याय पर जोर देता है। इसमें पिछले पैगंबरों की कहानियाँ, जैसे इब्राहीम, मूसा और ईसा की कथाएँ भी शामिल हैं, ताकि लोगों के लिए शिक्षा ली जा सके। यह नैतिकता, न्याय, दया और मानव अधिकारों के सिद्धांत भी स्थापित करता है।


मुसलमानों का मानना है कि कुरआन अपनी मूल अरबी भाषा में एक चमत्कार है और यह अक्षरशः अल्लाह का कथन है। इसकी भाषा और साहित्यिक शैली को दोहराने में असमर्थ होना इसकी दिव्यता का प्रमाण माना जाता है। नमाज़ की पाठ अरबी भाषा में ही की जाती है।


कुरआन मुसलमानों के जीवन का मार्गदर्शन है, जो धर्म, कानून और नैतिकता के सिद्धांत प्रदान करता है। यह कुरआन और पैगंबर मुहम्मद की सुन्नत (पदचिन्ह) इस्लामी कानून (शरिया) की नींव बनाते हैं। आज, दुनिया भर के मुसलमान इसे पवित्र मानते हैं और इसका अध्ययन, पाठ और पालन करते हैं, जिससे यह दुनिया में सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली पुस्तकों में से एक बन गई है।